Ganna Parchi calendar 2020
ID: com.gannaparchi.calender
-
Version:
Varies with device
-
Mise à jour le:
2022-09-30
Télécharger l'APK maintenant
Installation sécurisée sous garantie, pas de publicités supplémentaires ni de logiciels malveillants
La description de Ganna Parchi calendar 2020
यूपी गन्ना किसान पर्ची कलेंडर व अपने सट्टे से जुड़ी सारी जानकारी web portal या e-Ganna App Download करके मोबाइल के जरिए पता कर सकता है। मोबाइल पर किसान पर्चियों के अलावा पिछले सालों के गन्ना सप्लाई की जानकारी भी ले सकते है।इससे किसानों को कोई काम होने पर गन्ना विभाग या शुगर फैक्टरी के चक्कर नहीं काटने होंगे। Online UP Ganna Kisan Parchi Calendar 2020 portal गन्ना भुगतान 2020-My Kisan
हमारी जनसँख्या एक अरब पहुँचने में कई सौ हज़ार साल लगे.. और करीब 200 साल में हमारी जनसँख्या 7.5 अरब के पार पहुँच गई. कई scientists की माने तो हमारे पास सिर्फ 2 अरब लोगों के survival के लिए resources available हैं. यानी हमें अपने resources और food production को सावधानी से use करने की जरूरत है ताकि हम अतिरिक्त 5.5 अरब लोगों की आवश्यकताएं पूरी कर सकें.!
लोगों की खान-पान की जरूरतों को पूरा करने के लिए farming के नए-नए तरीके अपनाए गए..ज्यादा उपज के लिए fertilizers और pesticides के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया गया. वहीँ दूध और अन्डो की मांग बढ़ने से पालतू जानवरों को ज्यादा घने shades में रखने की शुरुआत की गई. और जरूरत पड़ने पे उन्हें मांस के लिए बाजार पहुँचाया जाने लगा.!
आज के समय में organic farming दुनिया भर की मात्र 1% agriculture land में की जा रही है. ये sustainable farming method तो है ही साथ ही conventional farming की अपेक्षा ज्यादा environment friendly है.! climate change से निपटने के लिए farming के इस method का इस्तेमाल किया जा रहा है.
लेकिन दुःख की बात ये है कि organic farming climate change का complete solution नहीं है..और इसीलिए इसपे बहस अभी भी जारी है. theoretically, organic farming में chemical fertilizers, herbicides, pesticides या किसी भी तरह के additives का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए. इन सबके बजाय किसानों को दूसरे natural alternatives का इस्तेमाल करना चाहिए. !
गन्ने का इतिहास
गन्ने का मूल स्थान भारतवर्ष है। पौराणिक कथाओं तथा भारत के प्राचीन ग्रन्थों में गन्ना व इससे तैयार की जाने वाली वस्तुओं का उल्लेख पाया जाता है। विश्व के मध्य पूर्वी देशों सहित अनेक स्थानों में भारत से ही इस उपयोगी पौधे को ले जाया गया। प्राचीन काल से गन्ना भारत में गुड़ तथा राब बनाने के काम आता था।
उन्नीसवीं सदी के प्रारंभ में जावा, हवाई, आस्ट्रेलिया आदि देशों में जब सफ़ेद दानेदार चीनी का उद्योग सफलतापूर्वक चल रहा था, भारतवर्ष में नील का व्यवसाय उन्नति पर था जो जर्मनी में रंग बनाने की नई तकनीक विकसित होने पर मन्द पड़ गया।
इस परिस्थिति का लाभ भारत में चीनी उद्योग की स्थापना को मिला। सन् 1920 में भारत के तत्कालीन गर्वनर जनरल ने चीनी व्यवसाय की उज्जवल भविष्य की कल्पना करते हुए इण्डियन शुगर कमेटी की स्थापना की थी। वर्ष 1930 में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की गन्ना उप समिति की सिफारिश पर एक ’ टैरिफ बोर्ड ’ की स्थापना की गयी जिसने भारत सरकार से चीनी उद्योग को आरम्भ में 15 वर्षों के लिये संरक्षण देने की सिफारिश की, फलत: भारत में सन् 1931 में चीनी उद्योग को संरक्षण प्रदान किया गया।
उत्तर प्रदेश में यद्यपि देवरिया के प्रतापपुर नामक स्थान पर 1903 में ही भारत की प्रथम प्राचीनत् चीनी मिल स्थापित हो चुकी थी परन्तु गन्ना क्रय-विक्रय की कोई संस्थापित पद्धति के अभाव में गन्ना किसानों को अनेकों कठिनाईयॉं होती थीं। भारत सरकार द्वारा पारित शुगर केन एक्ट 1934 द्वारा प्रदेशीय सरकारों को किसी क्षेत्र को नियंत्रित करते हुये वैक्यूम पैन चीनी मिलों द्वारा प्रयुक्त होने वाले गन्ने के न्यूनतम मूल्य निर्धारित करने के लिये अधिकृत किया गया।
उत्तर प्रदेश में सन् 1935 में गन्ना विकास विभाग विभाग स्थापित हुआ। सरकार ने गन्ना कृषकों की मदद की दृष्टि से ’ शुगर फैक्ट्रीज़ कन्ट्रोल एक्ट 1938 ’ लागू किया। वर्ष 1953-54 में इसके स्थान पर ’ उ0प्र0 गन्ना पूर्ति एवं खरीद विनियमन अधिनियम 1953 ’ लागू हुआ।
हमारी जनसँख्या एक अरब पहुँचने में कई सौ हज़ार साल लगे.. और करीब 200 साल में हमारी जनसँख्या 7.5 अरब के पार पहुँच गई. कई scientists की माने तो हमारे पास सिर्फ 2 अरब लोगों के survival के लिए resources available हैं. यानी हमें अपने resources और food production को सावधानी से use करने की जरूरत है ताकि हम अतिरिक्त 5.5 अरब लोगों की आवश्यकताएं पूरी कर सकें.!
लोगों की खान-पान की जरूरतों को पूरा करने के लिए farming के नए-नए तरीके अपनाए गए..ज्यादा उपज के लिए fertilizers और pesticides के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया गया. वहीँ दूध और अन्डो की मांग बढ़ने से पालतू जानवरों को ज्यादा घने shades में रखने की शुरुआत की गई. और जरूरत पड़ने पे उन्हें मांस के लिए बाजार पहुँचाया जाने लगा.!
आज के समय में organic farming दुनिया भर की मात्र 1% agriculture land में की जा रही है. ये sustainable farming method तो है ही साथ ही conventional farming की अपेक्षा ज्यादा environment friendly है.! climate change से निपटने के लिए farming के इस method का इस्तेमाल किया जा रहा है.
लेकिन दुःख की बात ये है कि organic farming climate change का complete solution नहीं है..और इसीलिए इसपे बहस अभी भी जारी है. theoretically, organic farming में chemical fertilizers, herbicides, pesticides या किसी भी तरह के additives का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए. इन सबके बजाय किसानों को दूसरे natural alternatives का इस्तेमाल करना चाहिए. !
गन्ने का इतिहास
गन्ने का मूल स्थान भारतवर्ष है। पौराणिक कथाओं तथा भारत के प्राचीन ग्रन्थों में गन्ना व इससे तैयार की जाने वाली वस्तुओं का उल्लेख पाया जाता है। विश्व के मध्य पूर्वी देशों सहित अनेक स्थानों में भारत से ही इस उपयोगी पौधे को ले जाया गया। प्राचीन काल से गन्ना भारत में गुड़ तथा राब बनाने के काम आता था।
उन्नीसवीं सदी के प्रारंभ में जावा, हवाई, आस्ट्रेलिया आदि देशों में जब सफ़ेद दानेदार चीनी का उद्योग सफलतापूर्वक चल रहा था, भारतवर्ष में नील का व्यवसाय उन्नति पर था जो जर्मनी में रंग बनाने की नई तकनीक विकसित होने पर मन्द पड़ गया।
इस परिस्थिति का लाभ भारत में चीनी उद्योग की स्थापना को मिला। सन् 1920 में भारत के तत्कालीन गर्वनर जनरल ने चीनी व्यवसाय की उज्जवल भविष्य की कल्पना करते हुए इण्डियन शुगर कमेटी की स्थापना की थी। वर्ष 1930 में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की गन्ना उप समिति की सिफारिश पर एक ’ टैरिफ बोर्ड ’ की स्थापना की गयी जिसने भारत सरकार से चीनी उद्योग को आरम्भ में 15 वर्षों के लिये संरक्षण देने की सिफारिश की, फलत: भारत में सन् 1931 में चीनी उद्योग को संरक्षण प्रदान किया गया।
उत्तर प्रदेश में यद्यपि देवरिया के प्रतापपुर नामक स्थान पर 1903 में ही भारत की प्रथम प्राचीनत् चीनी मिल स्थापित हो चुकी थी परन्तु गन्ना क्रय-विक्रय की कोई संस्थापित पद्धति के अभाव में गन्ना किसानों को अनेकों कठिनाईयॉं होती थीं। भारत सरकार द्वारा पारित शुगर केन एक्ट 1934 द्वारा प्रदेशीय सरकारों को किसी क्षेत्र को नियंत्रित करते हुये वैक्यूम पैन चीनी मिलों द्वारा प्रयुक्त होने वाले गन्ने के न्यूनतम मूल्य निर्धारित करने के लिये अधिकृत किया गया।
उत्तर प्रदेश में सन् 1935 में गन्ना विकास विभाग विभाग स्थापित हुआ। सरकार ने गन्ना कृषकों की मदद की दृष्टि से ’ शुगर फैक्ट्रीज़ कन्ट्रोल एक्ट 1938 ’ लागू किया। वर्ष 1953-54 में इसके स्थान पर ’ उ0प्र0 गन्ना पूर्ति एवं खरीद विनियमन अधिनियम 1953 ’ लागू हुआ।
Montre plus
Ganna Parchi calendar 2020 Varies with device APK pour Android Varies with device+
Version | Varies with device pour Android Varies with device+ |
Mise à jour le | 2022-09-30 |
Installe | 10.000++ |
Taille du fichier | 9.961.662 bytes |
Autorisations | voir les autorisations |
Quoi de neuf |
Historique des versions:
- 1. LATEST. Ganna Parchi calendar 2020 Varies with device APK (2022-09-30, 10 MB)
- 2. Ganna Parchi calendar 2020 2.0 APK (2020-11-06, 9 MB)
Montre plus
Appuyez sur APK
Montre plus